भरतपुर के पान के दीवाने थे मुगल शासक अकबर, अब इस खेती से मुंह मोड़ रहे किसान, जानें वजह

Suresh Foujdar

• 08:53 AM • 02 Feb 2023

Bharatpur news: हिंदुस्तान में पान खाने का इतिहास बहुत पुराना है. भारत में कई राजा-महाराजा पान खाने का बड़ा शौक रखते थे. राजा-महाराजाओं के पान खाने के किस्से भी मशहूर हैं. आज भी नेता, अभिनेताओं से लेकर आम आदमी तक पान के शौकीन हैं. कहा जाता है कि मुगल शासक अकबर भी पान खाने के […]

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Bharatpur news: हिंदुस्तान में पान खाने का इतिहास बहुत पुराना है. भारत में कई राजा-महाराजा पान खाने का बड़ा शौक रखते थे. राजा-महाराजाओं के पान खाने के किस्से भी मशहूर हैं. आज भी नेता, अभिनेताओं से लेकर आम आदमी तक पान के शौकीन हैं. कहा जाता है कि मुगल शासक अकबर भी पान खाने के बड़े शौकीन थे. अकबर भरतपुर के गांव में पैदा होने वाले पान के पत्ते को खाते थे. लेकिन इन दिनों घाटे का सौदा होने की वजह से हजारों साल से चल रही पान की खेती से किसान मुंह मोड़ रहे हैं. यही कारण है कि पान की खेती करने वाले ज्यादातर परिवार यहां से पलायन कर गए हैं. बता दें यहां तमोली जाति के लोग बरसों से पान की खेती करते आ रहे हैं. लेकिन बताया गया कि अब घाटे की वजह से परिवार चलाना भी मुश्किल है. ऐसे में पीढ़ियों से कर रहे इस काम से मुंह मोड़ रहें हैं.

किसानों ने बताया कि पान की खेती काफी महंगी पड़ती है. इसमें पहले बड़ी लागत लगानी पड़ती है. इसके अलावा पानी की कमी एक बड़ी समस्या रहती है. साथ ही अधिक तापमान में पान की खेती को बचाने के प्रबंध नहीं हो पाते हैं. वर्ष में दो बार पान की खेती होती है. इसी वजह से लागत की तुलना में मुनाफा कम हो रहा है. किसान खेती से भी इसीलिए मुंह मोड़ रहे हैं, क्योंकि पान पत्ते के दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई. जिससे किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है.

कई देशों में होती है इस खास पान की सप्लाई
भरतपुर में पैदा होने वाला पान इतना प्रसिद्ध है कि इसकी मांग न केवल देश के कई राज्यों में बल्कि कई मुस्लिम देशों में भी इसकी सप्लाई होती है. हिंदुस्तान के कई राज्यों के अलावा यहां से पान का निर्यात पाकिस्तान, सऊदी अरब, बांग्लादेश तक होता है. बताया जाता है कि मुगल शासक अकबर भरतपुर के गांव में पैदा होने वाले पान के पत्ते को खाते थे.

पान की खेती पर नहीं मिलता फसल बीमा योजना का लाभ
बता दें पान की खेती फसल बीमा योजना के अधीन नहीं आती है. यही कारण है कि जब पान की मौसम की मार या सूखे की वजह से बर्बाद होती है तो उसका मुआवजा भी किसानों को नहीं मिलता है. पान की खेती करने के लिए किसानों को बहुत मेहनत करनी होती है, जिसमें दूध, दही, आटा आदि पान के पौधों में डाला जाता है. हाल ही में न्यूनतम तापमान, घने कोहरे की वजह से पान के पत्ते सूख कर गिर पड़े. खराब मौसम की वजह से पान की खेती को काफी नुकसान हुआ है. जिसकी वजह से किसानों को भारी नुकसान का उठाना पड़ा.

किसानों की इस पीड़ा को कोई नहीं सुन रहा है. काफी समय से पान की खेती घाटे का सौदा होने के बाद भी सरकार द्वारा अनुदान मुहैया नहीं कराया जा रहा है. इस कारण परेशान किसान इस धंधे को छोड़ रहे हैं. जानकारी के अनुसार ज्यादातर किसान परिवार पान की खेती का धंधा छोड़कर पलायन कर गए हैं.

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