Tonk News: टोंक के एमसीएच अस्पताल में स्टाफ की गलती से नवजातों की अदला-बदली हो गई. टीकाकरण के दौरान यह गलती सामने आई और नवजातों को सही परिवारों को सौंपने के बाद मामला शांत हुआ. परिजनों ने डीएनए टेस्ट की मांग की और पुलिस ने इस मामले की हस्तक्षेत्र कर इस मामले को सुलझाया.
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टोंक जिले के सआदत अस्पताल के एमसीएच में ऐसा ही एक मामला सामने आया. जहां बीती शाम लेबर रूम में स्टाफ की गलती से दो महिलाओं के नवजात बच्चे अदला-बदली हो गए.
जिस मां को लड़का हुआ उसे लड़की सौंप दी
प्रसव के बाद, जिस महिला ने बेटी को जन्म दिया था, उसके परिजनों को गलती से एक लड़का सौंपा गया. और जिस महिला ने लड़के को जन्म दिया था, उसके परिजनों को गलती से एक लड़की सौंप दी गई. रात भर दोनों महिलाओं ने एक-दूसरे के बच्चों को अपना दूध पिलाया. सुबह जब टीकाकरण के लिए नवजातों को लाया गया, तो स्टाफ को अपनी गलती का पता चला. बिना किसी सूचना या समझाए, स्टाफ ने बच्चों को उनके सही परिजनों को सौंपा.
दूसरे परिवार ने किया हंगामा
इस अचानक बदलाव से एक परिवार ने हंगामा कर दिया, क्योंकि उन्हें बेटा हुआ था, लेकिन अब बेटी सौंपी जा रही थी. बालिका के परिजनों ने स्वीकारने से इनकार कर दिया कि बच्ची दूसरी महिला की संतान थी. लगभग चार घंटे के इस ड्रामे के बाद, पुलिस कोतवाली थाना ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू की. नर्सिंग स्टाफ से पूछताछ और लेबर रूम के प्रसव रिकॉर्ड की जांच में यह साफ हो गया कि बालिका सही मायने में उन्हीं की थी. हालांकि, डीएनए टेस्ट की मांग की गई, लेकिन सब कुछ स्पष्ट हो जाने के बाद बालिका के परिजनों ने उसे स्वीकार कर लिया.
एमसीएच प्रभारी का बयान
एमसीएच प्रभारी ने पुलिस को बताया कि स्टाफ द्वारा बच्चों की अदला-बदली नहीं की गई थी. उनके अनुसार, रिकॉर्ड में सब कुछ स्पष्ट रूप से अंकित है और ऐसी गलती संभव नहीं है. प्रभारी डॉ. बिंदू गुप्ता ने कहा कि दोनों प्रसूताओं का प्रसव लगभग एक ही समय हुआ था, जिससे परिजनों को समझने में गलती हुई हो सकती है. डॉ. गुप्ता ने कहा कि परिजन चाहें तो विधिक तरीके से डीएनए टेस्ट करा सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यह घटना दर्शाती है कि लोग बेटा ही चाहते हैं, बेटी नहीं.
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