जयपुर में ‘तिनका तिनका’ को पॉडकास्ट की हिंदी श्रेणी में मिला लाडली मीडिया अवॉर्ड
तिनका तिनका पॉडकास्ट को राजस्थान की राजधानी जयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में लाडली मीडिया पुरस्कार से सम्मानित किया गया. तिनका तिनका पॉडकास्ट सीरीज के 36वें एपिसोड- ‘अंबाला जेल रेडियो और महिला बंदी’ को वेब पॉडकास्ट की हिंदी श्रेणी में यह अवॉर्ड मिला है. इस अवॉर्ड को खुद तिनका तिनका की संस्थापक डॉ. वर्तिका नन्दा […]
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तिनका तिनका पॉडकास्ट को राजस्थान की राजधानी जयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में लाडली मीडिया पुरस्कार से सम्मानित किया गया. तिनका तिनका पॉडकास्ट सीरीज के 36वें एपिसोड- ‘अंबाला जेल रेडियो और महिला बंदी’ को वेब पॉडकास्ट की हिंदी श्रेणी में यह अवॉर्ड मिला है. इस अवॉर्ड को खुद तिनका तिनका की संस्थापक डॉ. वर्तिका नन्दा ने प्राप्त किया. यह अवॉर्ड शनिवार, 21 अक्टूबर 2022 को दिया गया.
क्या है इस पॉडकास्ट की खासियत?
आपको बता दें कि यह पॉडकास्ट अंबाला की सेंट्रल जेल में बंद महिला कैदियों पर आधारित है. अंबाला सेंट्रल जेल भारत की ऐतिहासिक जेलों में से एक है. तिनका तिनका फाउंडेशन ने 2020 में हरियाणा राज्य में जेल रेडियो शुरू किया था. इस पहल के एक भाग के रूप में, दिसंबर 2020 में तिनका तिनका फाउंडेशन की संस्थापक डॉ. वर्तिका नंदा द्वारा एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए 21 कैदियों का चयन किया गया था. जेल परिसर में नव स्थापित रेडियो स्टेशनों में आरजे बनने के लिए डॉ. नन्दा ने बंदियों को ट्रेनिंग दी. हरियाणा की जेलों में महिलाओं और ट्रांसजेंडर कैदियों सहित 300 से अधिक कैदियों को आरजे (रेडियो जॉकी) के रूप में प्रशिक्षित किया गया है.
पॉडकास्ट सीरीज का 36वें एपिसोड के बारे में-
यह विशेष एपिसोड सेंट्रल जेल, अंबाला में बंद महिला कैदियों की यात्रा और जेल रेडियो के साथ उनके जुड़ाव के बारे में बताता है. ये कैदी रेडियो कौशल उत्पादन प्रशिक्षण कार्यक्रम का हिस्सा थे, जो हरियाणा राज्य में व्यापक जेल रेडियो प्रशिक्षण परियोजना में शामिल था. पॉडकास्ट सीरीज के अवॉर्ड जीतने वाले 36वें एपिसोड की परिकल्पना और इसे आवाज वर्तिका नन्दा द्वारा दी गई है. साथ ही इसका संपादन हर्ष वर्धन ने किया है. वर्तिका नन्दा दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज में पत्रकारिता विभाग की प्रमुख हैं. हर्ष वर्धन एक युवा पत्रकार हैं, जो एक मीडिया हाउस में काम करते हैं. यह पॉडकास्ट सीरीज यूट्यूब पर प्रसारित की जाती है.
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तिनका तिनका जेलों पर बनाता है इकलौते पॉडकास्ट
तिनका तिनका पॉडकास्ट भारत भर की जेलों के लिए एक विशेष ऑडियो श्रृंखला है. ये पॉडकास्ट भारत में एकमात्र ऐसे पॉडकास्ट हैं, जो पूरी तरह से देश में जेल सुधारों के लिए समर्पित हैं. इसका उद्देश्य जेलों में सकारात्मक बदलाव लाना है. बिना किसी वित्तीय सहायता के 2020 में शुरू हुए ये पॉडकास्ट देश की विभिन्न जेलों के कैदियों की मूल आवाज को उजागर करने में सफल रहे हैं. इन पॉडकास्ट को यूट्यूब, स्पॉटीफाई, गूगल पॉडकास्ट और एप्पल पॉडकास्ट समेत अन्य कई प्लेटफॉर्म्स पर सुना जा सकता है. इन पॉडकास्ट की परिकल्पना, आलेख और आवाज तिनका तिनका फॉउंडेशन की संस्थापक डॉ. वर्तिका नन्दा की है. इस सीरीज के अधिकांश पॉडकास्ट हर्ष वर्धन ने संपादित किए हैं. गौरतलब है कि ये जो पॉडकास्ट हैं वो तिनका मॉडल ऑफ प्रिजन रिफॉर्म्स का एक विशेष हिस्सा हैं. तिनका तिनका पॉडकास्ट की टैगलाइन है ‘जेलों में इंद्रधनुष बनाने की कोशिश.
लाडली मीडिया अवॉर्ड के बारे में
‘पॉपुलेशन फर्स्ट’ और ‘संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष’ (यूएनएफपीए) द्वारा संयुक्त रूप से हर साल दिए जाने वाले इस अवॉर्ड का यह 13वां संस्करण है. वर्ष 2023 के लिए पूरे देश से 13 भाषाओं में 850 से अधिक प्रविष्टियों में से चुने विजेता चुने गए. इस आयोजन के मुख्य अतिथि थे- बाबा आमटे दिव्यांग विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. देव स्वरूप. विशिष्ट अतिथियों में डॉ. अर्चना शर्मा, अध्यक्ष राजस्थान राज्य समाज कल्याण बोर्ड, श्री इकराम राजस्थानी, अध्यक्ष पं. शामिल जवाहर लाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी, राजस्थान और सुश्री अनुजा गुलाटी, कार्यक्रम प्रबंधन विशेषज्ञ, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) शामिल रहे. राजस्थान विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार केंद्र के पूर्व प्रमुख प्रोफेसर संजीव भानावत और दूरदर्शन एवं आकाशवाणी की एंकर प्रियंका कटारिया ने इस कार्यक्रम की मेजबानी की.
इस साल कुल 87 पत्रकारों को लैंगिक संवेदनशीलता के लिए लाडली मीडिया एडवरटाइजिंग अवॉर्ड दिया गया, जबकि 31 को जूरी प्रशंसा प्रशस्ति पत्र मिले.
गौरतलब है कि ‘लाडली मीडिया एंड एडवर्टाइजिंग अवॉर्ड फॉर जेंडर सेंसिटिव्हिटी’ देश के उन मीडियाकर्मियों को दिया जाता है जो कि प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, न्यूज पोर्टल, ब्लॉग, वेबसाईट, रेडियो प्रोग्राम, कम्युनिटी मीडिया, फ़िल्म, किताब, विज्ञापन, डाक्युमेंट्री आदि कैटेगरी यानी मीडिया के किसी भी माध्यम के जरिए समाज में लैंगिक संवेदनशीलता का प्रसार एवं लैंगिक समानता, लैंगिक न्याय की बात करते हैं.
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