गंभीर बीमारी से जूझ रहा धौलपुर का हृदयांश, 17.50 करोड़ रुपए का है इंजेक्शन, क्या है ये बीमारी और क्यों महंगा है इलाज?
गंभीर बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से पीड़ित धौलपुर के हृदय रोगी का 17 करोड़ 50 लाख रुपए के जोल्गेन्स्मा इंजेक्शन से इलाज होगा. सोशल मीडिया के माध्यम से नरेश शर्मा एवं उनकी पत्नी ओर परिजनों ने देश के लोगों से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.
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धौलपुर (dholpur) के 22 महीने का मासूम हृदयांश (hridyansh) गंभीर बीमारी से जूझ रहा है. स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नामक इस बीमारी का इलाज नामुमकिन सा है. इसका इलाज करीब 17 करोड़ 50 लाख रुपए के zolgensma इंजेक्शन से होता है. पिता नरेश शर्मा जिले के मनियां पुलिस थाना में एसएचओ है. बच्चे की इस बीमारी और फिर इसका करोड़ों के इंजेक्शन के बारे में जानकर वह परेशान है. दरअसल, इस बीमारी में कमर से नीचे का हिस्सा बिल्कुल भी काम नहीं कर रहा है. जिसका इलाज 24 महीने की उम्र तक किया जाता है.
सोशल मीडिया के माध्यम से नरेश शर्मा एवं उनकी पत्नी ओर परिजनों ने देश के लोगों से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है. धौलपुर एसपी बृजेश ज्योति उपाध्याय ने भी पुलिस पुलिस के अधिकारी ओर कर्मचारियों को मदद के लिए पत्र लिखा. इसके बाद पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी भी हृदयांश के एकाउंट में राशि डोनेट कर रहे हैं.
डोनेशन देने वालों को दी जाएगी आयकर में छूट
सोशल मीडिया पर मुहिम शुरू होने के बाद समाज के भामाशाह और समाजसेवी भी आगे आए हैं. एसपी बृजेश ज्योति उपाध्याय ने बताया कि धारा-80 जी के तहत इनकम टैक्स एक्ट के माध्यम से आयकर में छूट भी दी जाएगी. साथ ही प्रदेश के पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों ने भी आमजन,पुलिस कार्मिको से सहयोग करने की अपील की है. राजस्थान के पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियो ने भी पत्र जारी कर वेतन में से कटौती करने के आदेश जारी किए हैं. अधिकारियो ने इस संबंध में सम्बंधित सभी कार्मिको से सहमति भी मांगी हैं.
जीन थेरेपी से होता है इलाज
Zolgensma इंजेक्शन (onasemnogene abeparvovec-xioi) एक जीन थेरेपी है. जिसका उपयोग स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) के इलाज के लिए किया जाता है. 2.1 मिलियन डॉलर की कीमत के चलते यह दुनिया की सबसे महंगा दवा है. जोलजेंस्मा एक वायरल वेक्टर का उपयोग करता है. शरीर में SMN1 जीन की एक प्रति को वितरित करने का काम करता है. यह SMN1 जीन प्रोटीन का उत्पादन करता है. इसके लिए इंजेक्शन को रीढ़ की हड्डी में सीधे इंजेक्ट किया जाता है. इसके लिए 2 साल से कम उम्र के बच्चों में SMA के इलाज के लिए मंजूरी दी गई है. यह उन बच्चों में सबसे प्रभावी है, जिन्हें अभी-अभी बीमारी का पता चला है. इंजेक्शन मोटर फ़ंक्शन में सुधार कर सकता है और कुछ बच्चों को चलने और बैठने में भी मदद कर सकता है. इस दौरान इसके कई साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिलते हैं. जिससे बुखार, उल्टी, दस्त, थकान, इंजेक्शन स्थल पर दर्द आदि महसूस होता है. महंगी होने के साथ ही जोलजेंस्मा एक महंगी और जोखिम भरी दवा है.
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